विक्रमोत्सव 2025 अंतर्गत विक्रम नाट्य समारोह का हुआ भव्य शुभारंभ, देवी अहिल्याबाई के त्याग और पराक्रम की गाथा मंच पर जीवंत हुई; समारोह के अंतर्गत हर दिन प्रस्तुत किया जाएगा एक पौराणिक नाट्य

उज्जैन लाइव, उज्जैन, श्रुति घुरैया:
महाराजा विक्रमादित्य शोधपीठ द्वारा विक्रमादित्य, उनके युग, भारत उत्कर्ष, नवजागरण और भारत विद्या पर एकाग्र विक्रमोत्सव 2025 अंतर्गत विक्रम नाट्य समारोह का शुभारंभ हुआ।
इस ऐतिहासिक उत्सव के अंतर्गत आयोजित विक्रम नाट्य समारोह ने दर्शकों को भारतीय संस्कृति, परंपरा और महान विभूतियों के जीवन से जोड़ने का कार्य किया।
कालिदास अकादमी, उज्जैन के बहिरंग मंच पर नाट्य मंचन की श्रृंखला में पहली प्रस्तुति ‘देवी अहिल्याबाई’ का हुआ। सुप्रसिद्ध निर्देशक अनिल दुबे के निर्देशन में यह नाटक अहिल्याबाई होल्कर के प्रेरणादायक जीवन पर आधारित था, जिसमें उनके त्याग, संघर्ष, न्यायप्रिय शासन और धर्म-सहिष्णुता की अद्भुत झलक देखने को मिली।
इस नाटक में अहिल्याबाई के बचपन से लेकर उनके देवी स्वरूप तक की यात्रा को प्रभावी रूप से मंचित किया गया। दर्शकों ने देखा कि कैसे एक बालिका अहिल्या, अपनी बुद्धिमत्ता, संस्कार और शिवभक्ति के कारण मल्हारराव होल्कर की पुत्रवधू बनीं। विवाह के बाद भी कठिनाइयों का सामना करते हुए, उन्होंने राज्य प्रशासन और युद्धनीति की शिक्षा ली। पति और ससुर की मृत्यु के बाद, जब उन्होंने शासनभार संभाला, तो उन्हें भीतरी विद्रोह और बाहरी आक्रमणों का सामना करना पड़ा।
अपने न्यायप्रिय शासन में उन्होंने मंदिरों, मस्जिदों और मजारों का जीर्णोद्धार करवाया, धर्मशालाएँ बनवाईं, प्याऊ खुलवाए, मार्गों का निर्माण करवाया और रोजगार के साधन उपलब्ध कराए। उनका मानना था कि धार्मिक स्थल समाज की एकता का प्रतीक होते हैं। उनकी नीतियों और जनहितैषी कार्यों ने उन्हें अहिल्या से देवी अहिल्याबाई बना दिया।
वहीं, समारोह के दूसरे दिन, 22 मार्च 2025, सायं 07:00 बजे, बहुप्रतीक्षित नाटक ‘श्रीकृष्ण, तुम कब आओगे?’ का मंचन हुआ। इस नाट्य प्रस्तुति का निर्देशन जयंत देशमुख द्वारा किया गया है और इसमें श्रीकृष्ण की युगों से चली आ रही प्रासंगिकता को आधुनिक दृष्टिकोण से प्रस्तुत किया जाएगा। यह नाटक दर्शकों को इस प्रश्न पर विचार करने के लिए प्रेरित करेगा – क्या आज भी श्रीकृष्ण का आगमन संभव है? क्या वे फिर से अधर्म का नाश करने आएंगे?
बता दें, विक्रम नाट्य समारोह के अंतर्गत हर दिन एक अनूठी ऐतिहासिक और पौराणिक नाट्य प्रस्तुति आयोजित की जाएगी –
23 मार्च – ‘माधव’ (निर्देशन: कुलविंदर बक्शीश)
24 मार्च – ‘चक्रव्यूह’ (निर्देशन: अतुल सत्य कौशिक, मुख्य भूमिका में नितीश भारद्वाज)
25 मार्च – ‘महादेव’ (निर्देशन: सम्पत सिंह राठौर एवं अभिषेक भरायण)
26 मार्च – ‘वराहमिहिर’ (निर्देशन: लोकेन्द्र त्रिवेदी, मध्यप्रदेश नाट्य विद्यालय, भोपाल)
27 मार्च – ‘कर्णभार’ (निर्देशन: नारायणी पणिक्कनर, त्रिवेंद्रम संस्था)
28 मार्च – ‘अभिज्ञान शाकुंतलम्’ (निर्देशन: राजेश सिंह, राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय, नई दिल्ली)
29 मार्च – ‘मृच्छकटिकम्’ (निर्देशन: टीकम जोशी, मध्यप्रदेश नाट्य विद्यालय)